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लेखनी प्रतियोगिता -13-Sep-2022 मासूमियत

मुक्तक 


उसकी मासूमियत पर हम जां निसार कर बैठे 
एक हसीन कातिल से यूं बरबस प्यार कर बैठे 
होठों पे उसके खिलती है मुस्कान की क्यारियां 
शोख अदाओं पे "हरि" दिल गुलजार कर बैठे 

मासूम चेहरे के पीछे की साजिशें जान नहीं पाये 
एक कुशल शिकारी को कभी पहचान नहीं पाये 
तीर ए निगाहों के वार से घायल है ये बेचारा दिल 
दिल के दुश्मन से दिल लगा बैठे ये मान नहीं पाये 

श्री हरि 
13.9.22 


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9 Comments

Abhinav ji

14-Sep-2022 08:43 AM

Nice

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Punam verma

14-Sep-2022 07:56 AM

Very nice

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क्या बात है sir मोहब्बत में यही होता है

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